हलवाई ने कविता लिखी

Posted by Nirbhay Jain Saturday, March 21, 2009, under | 0 comments

तुम्हारे रूप की चाशनी में

मन को डुबोया है

माखन सा शरीर

मलाई सा रंग है

मन "खोया खोया" है

गुलाबजामुन सी लग रही हो

जैसे रस मैं डुबोया है

मन "खोया खोया" है

मन "खोया खोया" है




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