उम्मीदों की नौकाएं

Posted by Nirbhay Jain Tuesday, August 25, 2009, under | 0 comments

नागफनी आंखों में लेकर, सोना हो पाता है क्या
जज्बातों में उलझ के कोई, चैन कहीं पाता है क्या

सावन के झूले पर उठते ,मीत मिलन के गीत कई
सबकी किस्मत में मिलनेका ,अवसर आपाता है क्या

बीज मोहब्बत के रोपे ,फ़िर छोड़ गए रुसवाई में
दर्द को किसने कैसे भोगा ,कोई समझ पाता है क्या

धूप का टुकडा हुआ चांदनी, खुशबू से लबरेज़ हुआ
चाँद देख कर दूर देश में ,याद कोई आता है क्या

मन के तूफां पर सवार हैं ,,,उम्मीदों की नौकाएं
बनती मिटती लहरें पल-पल, गर्दूं गिन पाता है क्या

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