हाय ! किस्मत

Posted by Nirbhay Jain Wednesday, September 9, 2009, under | 2 comments

इस कदर हम पे हुआ था, असर उसके प्यार का
ख़बर ख़ुद की थी हमको, होश था संसार का

उसको देखें तो दिल को चैन मिलता कहीं
रोज ही हम ढूंढते थे बहाना दीदार का

अब कहेंगे, तब कहेंगे सोचते थे हर घड़ी
सका फिर भी हम को हौसला इज़हार का

हमने माना उसको पाना काम ये आसन नही
इम्तेहान देना पड़ेगा हमको दरया पार का

कहने को तो कह भी देते हाले दिल उनसे मगर
डर हमे था सह पाते दर्द हम इनकार का

करके हिम्मत एक दिन चले हम, देर पर इतनी हुई
गैर के हाथों में देखा हाथ उस दिन यार का

One Response to "हाय ! किस्मत"

  1. raj Says:

    aapki nazam or pic dono achhi hai....

  1. Udan Tashtari Says:

    बहुत बेहतरीन रचना!