" तेरी मुस्कान ....! "

Posted by Nirbhay Jain Friday, September 25, 2009, under | 2 comments
" तेरी मुस्कान .....,
छीन ली नींद मेरी, तेरी इस मुस्कान ने ,
इरादों को तेरे, मै समज न सका ,

तुझको पाकर भी, पा न सका ,

आज भी मै ,तुझको भुल न सका ,

तेरी मुस्कान ने ...........

दिल मेरा जलाकर ,किसी की डोली में बैठ गई ,

दफ़न करके मेरे प्यार को ,

मुस्कान का तेरी ,कफ़न पहेनाया .........,

तेरी मुस्कान ने ......

जहाँ दफ़न किया प्यार को तुने ,

उस मजार पर आज भी ढूंढ़ता हु ,

तेरी प्यार भरी मुस्कान को ,
तु बेवफा थी , तेरी मुस्कान तो नही ,

तेरी मुस्कान ने .......,

शादी का जोड़ा किसी के नाम पहेनकर,

हमारे प्यार को क्यों "कफ़न" पहेना दिया,

तेरी मुस्कान को पाने हम आज भी ,

हमारे प्यार की मजार पर , सर अपना पटक रहे है "

---- eksacchai " टूटा ताजमहेल "


One Response to "" तेरी मुस्कान ....! ""

  1. Nirbhay Jain Says:

    bahut achi kavita he ji aapne ek pyar main dhokha kahye huye insaaan ke dil ka haal bataya he












    but u dont mind aapne ye jo kai jagha A ki matra lagai he wo sahi nahi he

  1. Udan Tashtari Says:

    बहुत अच्छी रचना.