साँसों की डोर

Posted by Nirbhay Jain Friday, August 21, 2009, under | 2 comments
जाने क्यूँ वो साँसों की डोर टूटने नही देता,
बस दो कदम और चलने का वास्ता देकर
मुझे
रुकने नही देता.....

बात कहता है वो मुझसे हंस हंस कर जी लेने की,
अजीब शख्स है मुझको
चैन
से रोने नही देता......

आज हौसला देता है मुझे चाँद सितारों को छू लेने का,
वो प्यारा सा चेहरा मुझे
टूटकर
बिखरने नही देता.......

शायद जानता है वो भी इन आंखों में आंसुओ का सैलाब है,
जाने क्यूँ फ़िर भी वो इन आंसुओ को गिरने नही देता........

मुझसे कहता है, "मैं तो मर जाऊंगा तुम्हारे बिना" ,
मैं जिंदा हूँ अब तक के वो मुझे मरने नही देता!!!

One Response to "साँसों की डोर"

  1. SACCHAI Says:

    shandaar " mai jinda hu ab tak ke vo muje marne nahi deta " supreb " gharai hai is gine hui kuch line me magar inhi gaherai ne kahe diya hai ki "aaj bhi sayad kisi ka intezar hai " sandar rachana

    -----eksacchai {AAWAZ }

    http://eksacchai.blogspot.com