जबसे तुमको है अपना बनाये हुए
हम तो अपनों से भी है पराये हुए
न होना खफा तुम मेरे प्यार से
जी रहा हूँ तुम्हे दिल में बसाये हुए
नजारों को शिकायत, हम न देखे उन्हें
नज़रों में जो तुम हो समाये हुए
मेरी चौखट पे रखोगी तुम कब कदम
एक मुद्दत हुई घर सजाये हुए
बढ़ रही है हर पल मेरी दीवानगी
भड़क उठे न शोले दिल में दबाये हुए
गर नही तुमको हमसे मुहब्बत सनम
तोह बुझा दो यह “दीपक” जलाये हुए
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