अपने दिल से पूछो क्या ये सच है ? " दोस्तों जब मैंने ब्लॉग लिखने की सुरुवात की .....और सचाई को सामने रखने की सुरुवात की तो न जाने कई लोगो ने मुझे कहा की " कुछ फायदा नही होगा " मगर आज बहुत सारे ब्लॉगर मुझे साथ दे रहे है अपने अपने ब्लॉग में एक या दुसरे तरीके से सच्चाई को सामने लाने की कोशीस कर रहे है तो दिल को काफी अच्छा लगता है ....की चलो मेरा कार्य सिद्ध हुवा ॥चलो किसी को जगा तो सका "" बेटियाँ अनमोल होती है ....ये मेरी पोस्ट का मैन बेस था .....उस वक्त मेरी पोस्ट ने सायद कई लोगो के दिल तोड़ दिए रहेंगे ....मगर ॥आज न जाने कितनी पोस्ट यही मुद्दे पर बन रही है की जैसे .......1 } औरत पर अत्याचार २} बेटियाँ अनमोल होती है ३} मर रहा है आम आदमी " धन्यवाद् दोस्तों ,की आप सब ने हमारे इसी मुद्दे को एक आवाज़ देने की कोशीस की है ,अगर हम पढेलिखे लोग समज जायेंगे तो वो दिन दूर नही की क औरत पर या बेटी पर अत्याचार नही होगा .......आप सब ने ....किसी ने कविता के जरिये तो किसी ने कहानी के जरिये जो आवाज़ उठाई है ॥उसके लिए आप सबका दिल से सुक्रिया "" मै कमेन्ट देने कहेता था तो सिर्फ़ इसलिए की मुझे पता चले की मेरे मुद्दे आपके दिल तक पहुंचे या नही ? मेरा मकसद पैसा कमाना नही बल्कि किसी "अबला " या " कोई बेटी" को न्याय मिले ...या फ़िर हम..... आम जनता जिन प्रश्नों से परेशां है .....वो सब बातें आपके सामने रखना ही मेरा मकसद था ...ब्लॉग पर आना जाना तो लगा रहेता है मगर दिल गवाही दे ऐसे सवाल हर ब्लॉग में होने चाहिए .... ना ही सिर्फ़ टाइम पास के लिए ब्लॉग लिखा जाए ....ताकि हर विसीटर आपकी पोस्ट पढ़कर सोचने पर मजबूर हो जाए की क्या ये सही है ? "" मेरे कई दोस्तोने मुझे कहा था की आज कल ऐसे आलेख कम पढ़ा जाते है मै भी जानता था की ऐसे आलेख कम पढ़ेंगी ये दुनिया मगर मै लिखता गया क्यों की मुझे पता था ...की जो मेरे आलेख पढेगा वो अन्याय के खिलाफ सवाल उठाने पर मजबूर होजायेगा "" यही मेरे लिए काफी है की अख़बार वालो ने " माँ भी किसी की बेटी थी " पर लिखना चालू कर दिया ....मेरा जलाया दिया आज उन अनपढ़ और पढ़े लिखे लोगो तक पहुंचेगा जो सो रहे है ......अपने पर हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाना सीखो दोस्तों ...क्यों की अन्याय करने वाले से अन्याय सहने वाला ज्यादा गुन्हेगार होता है "" ब्लॉग टाइम पास नही है बल्कि जानकारी का दरिया है "" दोस्तों मैंने अपनी दिल की बात कहे दी है ,अगर किसी को बुरा लगे तो माफ़ करना ....मगर मैंने सच्चाई की बात की है ये भी सच है मेरी पोस्ट पर कमेन्ट दे या न दे मुझे कोई फर्क नही पड़ेगा मगर फर्क पड़ेगा उन तमाम लोगो को जिन्हें अन्याय सहेने की आदत पड़ गई है ॥जिन्हें सच्चाई को चाहना गुनाह लगता है .....मै कोई ज़ंग में जाने की बात नही कर रहा ...बात है अपने इमां की ,अपने जमीर की ....बहुत से लोगो ने मुझे ये भी कहा की कौन करेगा सुरुवात ॥तो ये कोई ज़ंग नही है .....बात है तो सिर्फ़ समजदारी की ॥सिर्फ़ सच्चाई की क्यों की आज जो तुम्हारे आसपास अन्याय हो रहा है ...कल आप पर भी हो सकता है ......अभी भी वक्त है ...जागो "----- एकसच्चाई { आवाज़ }
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अपने दिल से पुचो की क्या ये सच है ?
Posted by Nirbhay Jain
Saturday, August 29, 2009, under
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comments
Ab na jaage to pachhtaane ka bhi waqt na milega.
( Treasurer-S. T. )