सच का सामना

Posted by Nirbhay Jain Thursday, July 16, 2009, under | 2 comments

जीवन की हर सच्चाई से
खबरदार हो जाइये
क्योकि शुरू हो गया है
स्टार पर सच का सामना

एक भोला सा बुद्धुराम
फस गया उनके जाल में
केबीसी जैसा शो होगा
उसने सोचा १५ की बजाये
२१ सवाल ही तो पूछेगें

झटपट उत्तर दे दूगां
हाँ / ना ही तो कहना है
करोड़पति बन गए तो ठीक
नही तो राजीव से ही मिल लेगें

बहुत कर चुका ये काम काज
अब तो टीवी पर दिखना है
यही सोचकर जा पंहुचा वो
करने 'सच का सामना '

पर ये क्या हो गया
पहला ही प्रश्न पूछ लिया
तुम्हारी दो पत्निया है
उसका दिमाग घूम गया
ज़माने से छुपाकर रखा जिसे
अब सब सामने गया
सच का सामना करने के लिए
हाँ कहना ही पड़ गया
और कोई चारा भी नही था
मन में बार बार ख्याल रहा था
मैं ये कहाँ गया
कार्यक्रम देखने वाले तो मज़े ले रहे है
और मैं यहाँ झूठ और सच में फंसा हुआ हूँ
एक करोड़ के लालच में सबके सामने नंगा खड़ा हूँ
पैसे तो नही कम पाउँगा
पर रिश्तो से जाऊंगा
जो जमा किए थे रिश्ते नाते
हाँ / ना मैं मिट जायेंगे

लाइ डिटेक्टर के फंदे में
फंस गया बुद्धुराम
एक सवाल के ही उत्तर में
याद गए राम
छोड़ के सब कुछ बोल पड़ा
नही करना मुझे सच का सामना
बहुत हो गया बहुत हो गया
मुझे माफ़ करना
रिश्ते बाकी रहे तो
फ़िर कभी करेगें
"सच का सामना"

One Response to "सच का सामना"

  1. @$~Rashmi~$@ ** Says:

    100% swt hai nice hai
    and tippni karni aati nahi hai sry

    Katal kar ke vo katil ka nam puchte hai,
    Dard dekar vo dava ka nam puchte hai,
    Mar gaye hum unki is ada pe,
    Hokar mere khuda vo mere
    rehnuma ka nam puchte hai.

  1. रज़िया "राज़" Says:

    सुंदर अभिव्यक्ति।.....
    लाइ डिटेक्टर के फंदे में
    फंस गया बुद्धुराम
    एक सवाल के ही उत्तर में
    याद आ गए राम
    छोड़ के सब कुछ बोल पड़ा
    नही करना मुझे सच का सामना
    बहुत हो गया बहुत हो गया
    मुझे माफ़ करना
    रिश्ते बाकी रहे तो
    फ़िर कभी करेगें
    "सच का सामना"
    मज़ा आ गया।