मंज़र यादो का

Posted by Nirbhay Jain Saturday, October 3, 2009, under | 1 comments
किसीको गम ने मारा ,
किसीको तक़दीर ने मारा ,
हमको तेरी तस्वीर ने मारा |

क्या हमने पाया,
क्या तुमने पाया
ये खेल है ......
मिलके बिछड़ ने का ........

आओ इस वीराने में बैठकर
चंद बूंद गिराकर अश्को के
बुनले मंज़र यादों का |

किए थे कुछ हमने वादे ,
किए थे कुछ तुमने वादे ,
आओ बुनते है इन्ही से
मंज़र यादो का |

One Response to "मंज़र यादो का"

  1. tulsibhai Says:

    " bahut hi acchi rachana ...bichde huve premiyo ki aawaz ko darshti behad hi khubsurat rachana "

    " dost ke naam "

    ---- eksacchai { aawaz }