कैसा ये रिश्ता है ?

Posted by Nirbhay Jain Monday, August 17, 2009, under | 0 comments

ख्वाब और हकीकत में
इश्क और नजाकत में
दिल और दिमाग में
कागज़ और किताब में
फूल और खुशबू में
दिल की धुकधुक में
एक अजीब सा रिश्ता है
एक के बिना दूसरा अधूरा है
एक चलता है एक रुकता है
एक बढ़ता है एक झुकता है
क्यों ख्वाब हकीकत बनना चाहता है
क्यों इश्क में नज़ाक़त होती है
क्यों दिल पैर दिमाग हावी है
क्यों कागज़ बिना किताब बेभावी है
क्यों फूल ही खुशबु देता है
महबूब के छूटे ही
क्यों दिल धुकधुक करता है
कैसा ये रिश्ता है ?
बोल ममता बोल
कैसा ये रिश्ता है ?

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