जीने के लिए भी वक़्त नही...

Posted by Nirbhay Jain Friday, July 24, 2009, under | 1 comments
हर ख़ुशी है लोगों के दामन में,
पर एक हँसी के लिए वक़्त नही.
दिन रात दौड़ती दुनिया में,
ज़िंदगी के लिए ही वक़्त नही.

माँ की लोरी का एहसास तो है
पर माँ को माँ केहने का वक़्त नही.
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हे दफ़नाने का भी वक़्त नही.

सारे नाम मोबाईल में हैं
पर दोस्ती के लिए वक़्त नही.
गैरों की क्या बात करें,
जब अपनो के लिए ही वक़्त नही.

आँखों मे है नींद बड़ी,
पर सोने का वक़्त नही.
दिल है गमो से भरा हुआ,
पर रोने का भी वक़्त नही.

पैसों की दौड़ मे ऐसे दौड़े,
की आराम का भी वक़्त नही.
पराए एहसासों की क्या क़द्र करें,
जब अपने सपनो के लिए ही वक़्त नही.

तू ही बता ए ज़िंदगी,
इस ज़िंदगी का क्या होगा,
की हर पल मरनेवालों को,
जीने के लिए भी वक़्त नही...
-राहुल सिंह

One Response to "जीने के लिए भी वक़्त नही..."

  1. M VERMA Says:

    बहुत सही -- हमे तो किसी बात के लिये वक्त ही नही है.