आनंद भर के देखिये

Posted by Nirbhay Jain Monday, July 20, 2009, under | 1 comments
जिन्दगी के सफर में आनंद भर के देखिये
सर्जना में कल्पना के छंद भरके देखिये
खिल जाएँगे फिर रेत में संभावना के कमल
अपनी लगन की आप थोंडी गंध भर के देखिए
सारे दुश्मन आपके फिर दोस्त ही बन जाएँगे
प्यार का व्यवहार में मरकंद भर के देखिए
नफरतें इतनी मिलेंगी देश के इतिहास की
आप भूल से ही जयचंद बनके देखिए
सिर्फ घाटे ही मिलेंगे आजकल संबंध में
नए चलन में आप भी अनुबंध बनके देखिए
बहती नदिया कह रही है, जोहड़ों के कान में
आप प्रभु और भक्त का संबंध बनके देखिए।
खुद समंदर आप है, निर्बंध बनके देखिए
बेटा बेटी उम्रभर इज्जत करेगें आपकी
श्रम के आनंद में गुलकंद भरके देखिये

One Response to "आनंद भर के देखिये"

  1. M VERMA Says:

    नफरतें इतनी मिलेंगी देश के इतिहास की
    आप भूल से ही जयचंद बनके देखिए
    जयचन्दी धरोहर से तो नफरत ही मिलेगी.
    बहुत सुन्दर