आज की नारी कहा गई साड़ी
छोर शर्म और पी रही पानी
कहते थे अबला जिसको हम
आज जाने कहा से आगया हें इसमे दम
आज की नारी ........................
पहनती हें मर्दों जेसे कपड़े
रोड पर करती हे झगडे
करती हे मन मानी
कहलाती हे कलयुग की रानी
आज की नारी ..............................
केसा आजकल का पहनावा हे
लड़को को ख़ुद देती बढावा हे
लड़के देखकर मरते हे सेटी
आखो मैं अ़ब नही शर्म का पानी
आज की नारी ...........
आज की नारी कहा गई साड़ी
Posted by Nirbhay Jain
Thursday, July 30, 2009, under
अमृता जैन
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