यमराज का इस्तीफा

Posted by Nirbhay Jain Sunday, July 5, 2009, under | 1 comments
एक दिन यमदेव ने दे दिया अपना इस्तीफा।
मच गया हाहाकार बिगड़ गया सब संतुलन,
करने के लिए स्थिति का आकलन,
इन्द्र देव ने देवताओं की आपात सभा बुलाई
और फिर यमराज को कॉल लगाई।

डायल किया तो
कृपया नम्बरजाँच लें की आवाज आई
नये ऑफ़र में नम्बर बदलने की आदत से
इन्द्रदेव को गुस्सा आई
पर मामले की नाजुकता को देखकर,
मन की बात उन्होने मन में ही दबाई।
किसी तरह यमराज के नए नंबर की जुगाड़ लगाई ,
फिर से फोन लगाया गया तो
'झलक दिखलाजा झलक दिखलाजा ' की
कॉलर टयून दी सुनाई

सुन-सुन कर ये धुन सब बोर हो गये
ऐसा लगा शायद यमराज जी सो गये।
तहकीकात करने पर पता लगा,
यमदेव पृथ्वीलोक में रोमिंग पर हैं,
शायद इसलिए नहीं दे रहे हैं हमारी कॉल पे ध्यान,
क्योंकि बिल भरने में निकल जाती है उनकी भी जान।

जब यमराज हुये इन्द्र के दरबार में पेश,
तब पूछा-यम क्या है ये इस्तीफे का केस?
यमराज जी ने अपना मुँह खोला और बोले-
हे इंद्रदेव।
'मल्टीप्लैक्स' में जब भी जाता हूँ,
'भैंसे' की पार्किंग न होने की वजह से
बिन फिल्म देखे, ही लौट के आता हूँ।
'मैकडोन्लड' वाले तो देखते ही इज्जत उतार देते हैं
और ढ़ाबे में जाकर खाने-की सलाह दे देते हैं।
मौत के काम पर जब पृथ्वीलोक जाता हूँ
'भैंसे' पर देखकर पृथ्वीवासी भी हँसते हैं
और कार न होने के ताने कसते हैं।

भैंसे पर बैठे-बैठे झटके बड़े रहे हैं
वायुमार्ग में भी अब ट्रैफिक बढ़ रहे हैं।

रफ्तार की इस दुनिया मैं, भैंसे से कैसे काम चलाऊ
आप कुछ समझ रहे हो या कुछ और बात बताऊ

अब तो पृथ्वीवासी भी कार दिखा कर चिडाते है
चकमा देकर मुझेसे आगे निकल जाते है
हे इन्द्रदेव। मेरे इस दु:ख को समझो और
चार पहिए की जगह चार पैरों वाला दिया है
कह कर अब मुझे न बहलाओ,
और जल्दी से 'मर्सिडीज़' मुझे दिलाओ।
वरना मेरा इस्तीफा अपने साथ ले जाओ।
और मौत का ये काम अब किसी और से कराओ

One Response to "यमराज का इस्तीफा"

  1. Anonymous
    Says:

    bahut hiiiiiiiiiiiiiiiiiii lajbab hai bolne ke liye kuch nahi hai mere paas koi sabbad