कुछ यादें

Posted by Nirbhay Jain Tuesday, April 14, 2009, under | 1 comments
वो यमुना का पानी, वो केन की रवानी,
वो भोला सा बचपन, वो अल्हड़ जवानी,

वो सरसों के फूल, वो गेहूँ की फसलें,
वो पुरखों का घर, वो चिड़ियों की नस्लें,

वो सोने का सूरज, वो चाँदी का चंदा,
वो सावन की मस्ती, वो झूलों का फंदा,

वो चमकते सितारे, वो भटकते से मोर,
वो अखाड़े का दंगल, वो पतंगों की डोर,

वो जाड़े की ठंडक, वो गर्मी की लू,
वो बीमारी का दौर, वो हैज़ा वो फ़्लू,

वो भैंसों का दूध, वो बैलों की घंटी,
वो संकरे से रस्ते, वो पतली पगडंडी,

वो पीपल का पेड़, वो बरगद की छाँव
वो मिट्टी की खुशबू, वो पुरखों का गाँव

One Response to "कुछ यादें"

  1. Dr. shyam gupta Says:

    बहुत सुन्दर ,निर्भय -यादें-
    ---ग्यात जो होता खोजायेगे ,रिश्ते नाते कोकिल मैना ,
    ---भीड तन्त्र में हम तरसेंगे ,सुनने को दो प्यार के बैना
    क्यों हम आते भला नगर मैं,चाहत में उस ऊंचे नभ की ,
    जहां पहुंच कर खोजाती है ,मानवता ही जब मानव की ॥
    ---डा श्याम गुप्त