बेटियाँ...............

Posted by Nirbhay Jain Friday, October 9, 2009, under | 4 comments

बोए जाते है बेटे ,

उग जाती है बेटियाँ.

खाद पानी बेटो को,

और लहलहाती है बेटियाँ.

एवरेस्ट की उचाईयों तक,

धकेले जाते है बेटे.

और चढ़ जाती है बेटियाँ.

रुलाते है बेटे.,

और रोती है बेटियाँ.

कई तरह गिरते है बेटे,

और संभल लेती है बेटियाँ.

सुख के स्वपन दिखाते है बेटे,

जीवन का यथार्थ है बेटियाँ.

जीवन तो बेटो का है,

और मरी जाती है बेटियाँ...............

One Response to "बेटियाँ..............."

  1. नीरज गोस्वामी Says:

    बहुत ही अच्छा लिखा है आपने इसे पढ़कर मुझे मेरी पिछली पोस्ट पर लिखा एक शेर याद आ गया जिसे आपको भी सुना देता हूँ शायद पसंद आये...

    बरकतें खुलकर बरसतीं उन पे हैं "नीरज" सदा
    मानते हैं बेटियों को जो घरों की रानियाँ

    नीरज

  1. कुलवंत हैप्पी Says:

    बहुत खूबसूरत है रचना

    मुश्किल था टिप्पणी देने से बचना

  1. Dr. Mahesh Sinha Says:

    कटु सत्य , साधुवाद

  1. वन्दना Says:

    bahut hi katu satya ko bade hi saral shabdon mein dhala hai......bahut badhiya likha hai.