आज कल आँखें कम सोती हैं
बहुत ज़्यादा रोती हैं
आज कल मनन उदास है
बहुत ज़्यादा रोग के पास है
आज कल दिल कम धड़कता है
बहुत ज़्यादा रुकता है
आज कल तुम्हारी याद आती है
बहुत ज़्यादा सताती है
आज कल कुछ नही समझ आता है
बहुत ज़्यादा भूल भुलाया होजाता है
न जाने ये कैसी बीमारी होती जा रही है
अहिस्ता अहिस्ता हमारी जान लेती जारही है....
-पिंकी वालिया
तुर्की
One Response to "आज कल"