देखा तो प्यार आया

Posted by Nirbhay Jain Monday, August 31, 2009, under | 2 comments
पत्ता जो खड़का तो
दिल मेरा धड़का
दिल मेरा धड़का तो
शोला सा भड़का
देखा तो प्यार आया
दिल का करार आया
जन-ऐ-बहार आया
मस्ती मैं झूमे फिज़ा

आंखों मैं वो प्यार
जो दीवाना बनाये
महकी वो बहार
जो मस्ताना बनाये
घनी घनी जुल्फों मैं
झुकी झुकी पलकों मैं
राहों मैं गीत गूंजें
शाखों मैं फूल झूमें
कलियों ने पौन चूमें
क़दमों पे हो के फ़िदा

निगाहों से निगाहों का
छेड़ा हे फ़साना
ऐसे मैं मेरे सामने
आए न ज़माना
सजी सजी रहूँ मैं
खुली खुली बहूँ मैं
खुशियों की रात आई
दिल का शुरूर लायी
हाँ वो मुराद पाई
मांगी थी जो दुआ

One Response to "देखा तो प्यार आया"

  1. विनय ‘नज़र’ Says:

    ख़ूबसूरत कविता के साथ ख़ूबसूरत पेंटिंग
    --->
    गुलाबी कोंपलें · चाँद, बादल और शाम

  1. ओम आर्य Says:

    एक खुब्सूरत भाव के साथ खुबसूरत रचना .....