तुम्हारे इश्क में

Posted by Nirbhay Jain Saturday, April 4, 2009, under | 0 comments
गरीबी ने किया गंजा नहीं तो चांद पर जाता!
तुम्हारी मांग भरने को सितारे तोडकर लाता!
बहा डाले तुम्हारी याद में आंसू कई गैलन!
अगर तुम फोन न करती तो यहां सैलाब आ जाता!
तुम्हारे नाम की चिट्ठियां तुम्हारे बाप ने खोली!
उसे उर्दू अगर आती तो वो कच्चा चबा जाता!
तुम्हारी बेवफाई से बना हूं टॉप का शायर!
तुम्हारे इश्क में पड़ता तो सीधा आगरा जाता!

One Response to "तुम्हारे इश्क में"